Add To collaction

लेखनी कहानी -25-Oct-2023

प्रेम की प्रथम अभिव्यक्ति प्रेम कब हो जाये , कुछ पता नहीं । लड़कपन के प्रेम की बात ही कुछ निराली होती है । बात तब की है जब हम स्कूल में पढते थे । स्कूल में पढने वाली लड़कियां अक्सर मेरे इर्द-गिर्द मंडराती थीं पर तब हम यह नहीं जानते थे कि इसके पीछे प्रेम नामक बीमारी है । हम शुरू से ही बड़े सीधे सादे थे । लड़कियों से थोड़ा दूर ही रहते थे । पर लडकियां दूर नहीं रहती थीं । वे येन केन प्रकारेण नजदीक आ ही जाती थी । साथ पढते थे और इंटरवेल में साथ साथ खेलते भी थे ।

एक दिन हम लोग पकड़म पकड़ाई का खेल रहे थे और एक लड़की जिसका नाम शर्मीली था , वह दाम दे रही थी यानि पकड़ने वाली थी । एक समय ऐसा आया जब हम उसकी पकड़ के दायरे में थे मगर उसने हमें नहीं पकड़ा , बल्कि उसने किसी अन्य छात्र को पकड़ लिया । हम आश्चर्य से उसे देखते रह गये । शर्म से उसने अपनी नजरें नीची कर ली । सब बच्चे आपस में "कानाफूसी" करने लगे । उन्होंने दबी जुबान में पता नहीं क्या कहा ?

अगले दिन हमारे एक खास दोस्त ने कहा कि वह लड़की शर्मीली मुझे चाहती है । मैंने उसकी बात को इगनोर कर दिया । तब उसने एक दो उदाहरण और दिये कि उस दिन उसने मेरे साथ ऐसा किया , वैसा किया । मेरे दोस्त का कहना था कि वैसे तो और भी लडकियां हैं जो मुझे चाहती हैं पर शर्मीली सबसे ज्यादा चाहती है । मेरे मन में उथल पुथल होने लगी और पढने से मन उचटने लगा ।

एक दिन हम दोनों (मैं और शर्मीली) पैदल पैदल स्कूल जा रहे थे । शर्मीली मुझसे थोड़ा आगे थी । अचानक जोर की बारिश आ गई । मैं दौड़कर एक शेड के नीचे खड़ा हो गया और शर्मीली को भी डरते डरते वहां बुला लिया । वह भी लजाती लजाती शेड में आ गई । थोड़ी देर तक हम दोनों खामोश खड़े रहे । मैंने एक निगाह उस पर डाली पर उसने अपनी निगाह जमीन में गड़ा रखी थी । मैं कांपते हुए उसके नजदीक गया और धीरे से पूछा "उस दिन आपने मुझे पकड़ा क्यों नहीं" ? इस बात पर वह लजा गई और अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया । मैंने देखा कि वह बीच बीच में अपनी उंगलियों के बीच से मुझे देख लेती थी । मैंने उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिये । उसने घबरा कर मुझे देखा और कहा "ये क्या कर रहे हो" ? मैंने भी कांपते हुए कह दिया "हाथ पकड़ रहा हूं" । वह एकदम से चुप हो गई और फिर बोली "क्या हमेशा के लिए" ? मैंने घबराकर उसके हाथ छोड़ दिये । वह इससे और भी घबरा गई और रोने लग गई । तब मैंने आगे बढ़कर उसका हाथ थामकर कहा "हां , सदा के लिए" । फिर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई । पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था । सीनियर क्लास पास करते ही मैं इंजीनियरिंग की पढाई करने दूसरे शहर चला गया और इस तरह हमारा फिर कभी मिलन नहीं हुआ । पहले प्रेम की अभिव्यक्ति हमेशा याद रहती है मुझे ।

हरिशंकर गोयल "श्री हरि" 25.10.23

   17
2 Comments

Mohammed urooj khan

31-Oct-2023 05:04 PM

👍👍👍

Reply

Gunjan Kamal

26-Oct-2023 08:33 AM

बहुत खूब

Reply